कर्म ही सफलता का मूल मंत्र है

अगर आप सोच रहे हैं कि आप गरीब हैं तो इसमें आपकी गलती है । किसी ने सही कहा है कि गरीब होना पाप नहीं है है लेकिन गरीब मर जाना अभिशाप है

आप इस बात से सहमत होंगे जिन्हें जरूरत होती है वही रास्ते चलते हैं । कहीं जाने के लिए मंजिल की जरूरत है। यदि मंजिल ही नहीं रहेगा तो आप  चलेंगे ही नहीं। आपकी सफलता ही आपकी मंजिल है यदि आप असफल हैं तो आप सफलता को पाने के लिए प्रयास करेंगे और वही एक आपका लक्ष्य होगा, वही मंजिल होगी तो आप कर्म करेंगे । ज्यादातर  देखा गया है कि यदि आपके पास अभाव नहीं है तो आप कर्म करने से हिचक ने लगेंगे ।  आपने अवश्य ही सुना होगा की आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है।  तो अभाव भी कुछ पाने का रास्ता ।

यदि आप सोचते हैं कि गरीबी अभिशाप है तो आप उसे सोचना बंद कर दें और इसे एक वरदान के रूप में माने क्योंकि इसमें आपको कुछ करने के लिए कुछ हासिल करने के लिए प्रेरित किया है । 

आप यह सोचे कि बिना कर्म के कुछ भी नहीं मिलता इस धरती पर तो भगवान श्रीराम ने भी अवतार लिया था ।  सोचे जब भगवान श्रीराम को कर्म करना पड़ा तो आप तो एक इंसान है क्या कृष्ण को कम नहीं करना पड़ा। दोस्तों इस धरती पर सभी को गर्म करना पड़ता है चाहे वह राजा हो या प्रजा । जरा सोचें कि क्या शेर को जोकि जंगल का राजा होता है बिना शिकार करें कुछ हासिल होगा उसे राजा होते हुए भी कर्म करना पड़ता है और हिरण वह भी कर्म करना पड़ता है अपने प्राणों की रक्षा के लिए कर्म दोनों को करना है ।

लिखा गया है उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः ।न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥

आपके पास कोई भी समस्या हो उन्हें आप समस्या के रूप में ना लेकर एक चैलेंज के रूप में लें और यह मानें कि हां आपकी एक परीक्षा है दोस्तों सफल होने के लिए  हर एक चरण पर आपको परीक्षा देनी होती है चाहे वह एकेडमिक  परीक्षा हो या करियर बनाने के लिए