प्रिय पाठक,
हमें जीवन में सफल होने के लिए लक्ष्य बनाना ही होगा | आखिर हमें पता तो होना चाहिए कि हमें पहुंचना कहां है, हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है, हमें करना क्या है |
यदि बिना योजना एवं लक्ष्य के मेहनत करने वाला इंसान सबसे ज्यादा सफल होता तो गधा जंगल का राजा होता |
लक्ष्य से आपकी योजना को आकार मिलता है, योजना से आपके कार्य तय होते हैं, कार्यों से परिणाम हासिल होते हैं और परिणाम से आपको सफलता मिलती है। और यह सब लक्ष्य से ही शुरू होता है। — शैड हेल्म्सटेटर
जब एंड्रयू कार्नेजी छोटे काम से शुरुआत करके अमेरिका में स्टील बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी के मालिक बन गए तब एक व्यक्ति ने उनसे उनकी सफलता का राज पूछा |
कार्नेगी ने जवाब दिया कि "एक तोला सोना निकालने के लिए हजारों टन मिट्टी निकालते समय मिट्टी निकालने वाले का ध्यान हजारों टन मिट्टी पर नहीं बल्कि सोना पर होता है, यही लक्ष्य है।" यदि फोकस अथवा लक्ष्य मिट्टी पर होगी तब मिट्टी ही मिलना है और सोना पर है तो सोना | यदि लक्ष्य मिट्टी पर है तब सोना मिलना असंभव है |
हमारे वास्तविक जीवन में भी हमारा फोकस नाकामयाबी पर ही होता है जबकि हमें उसे इग्नोर करना है | अक्सर हमें वही मिलता है जिसकी हमें तलाश होती है | अगर हम अपने लक्ष्य में अड़चनें ढूढेंगे तब हमें अड़चनें ही मिलेंगी | लक्ष्य हमेशा एक ही होता है वह है जीत एवं सफलता | लक्ष्य का कोई अन्य विकल्प नहीं है | लक्ष्य महाभारत के मछली की आंख है |
मैग्नीफाइंग ग्लास भी हमें लक्ष्य पर फोकस करना सिखाती है | यदि मैग्नीफाइंग ग्लास फोकस्ड है अथवा लक्ष्य पर केंद्रित है तब वह कागज को जला डालती है परंतु यदि हम ग्लास को हिलाते रहेंगे तो यह कठिन ही नहीं बल्कि असंभव है | इसी तरह से हमारे जीवन का भी लक्ष्य जो कुछ भी हो सकता है परंतु अंततः सफलता ही है |
बिना लक्ष्य के हम उस घड़ी के पेंडुलम तथा सुई की तरह है जो चलते तो खूब हैं परंतु पहुंचते कहीं नहीं |
जब हम किसी भी ऐसे ट्रेन में नहीं बैठते जिसका गंतव्य हमें न पता हो तो अपने जिंदगी के सफर में बिना लक्ष्य के कैसे चलने को तैयार हो जाते हैं |
महान क्रिकेटर रिकी पोंटिंग ने अपने किताब में लिखा है कि हमें बाधाओं पर नहीं बल्कि संभावनाओं पर फोकस करना चाहिए | उनसे उनकी सफलता का राज पूछा गया तो उन्होंने कहा, "सभी बैट्समैन खेल के मैदान में यह सर्वे करते हैं की कहां फील्डर लगे हुए हैं | उनका ध्यान सिर्फ फिल्डर की ओर होता है जबकि मेरा ध्यान सिर्फ गैप की ओर होता है।" यही लक्ष्य है |
हमारे निजी जीवन में भी ढेर सारी संभावनाएं, गैप के रूप में हमारे पास उपलब्ध है, परंतु हमारा ध्यान बाधाओं पर रहता है न कि गैप अथवा संभावनाओं पर |
हमारा जीवन भी क्रिकेट मैदान की तरह है जहां पर ढेर सारे अपोनेंट, नकारात्मक विचार हमें हराने के लिए खड़े हैं | ढेर सारी बाधाएं हैं, बहुत सारे लोग हैं, जो यह प्रयास करते हैं कि हम आगे न बढ़ पाए | यह खेल के मैदान में फिल्डर की तरह है जो हमें जीतने देना ही नहीं चाहते | हमें उन पर नहीं, बल्कि गैप पर फोकस करना है |
हम जिस पर फोकस करते हैं वह बड़ा होता जाता है | यदि समस्याओं पर फोकस करेंगे तो समस्याएं बड़ी होती जाएंगी और समाधान पर करेंगे तो समाधान | हमें अपनी क्षमताओं पर फोकस करना है न की समस्याओं पर | कहते हैं - जिन खोजा तिन पाइयां गहरे पानी बैठ ।
तो क्यों न आज से ही हम लक्ष्य बनाएं क्योंकि कहीं पहुंचने के लिए मंजिल होना जरूरी है | एक बार एक पर्वतारोही से पूछा गया, "आपके पर्वतारोहण में सबसे महत्वपूर्ण क्या है?" जवाब था "यह पर्वत स्वयं, क्योंकि यदि यह पर्वत ही नहीं होता तो लक्ष्य कैसा !!"
यह लक्ष्य आपका स्वास्थ्य, आपकी खुशी, आपका प्रोफेशन, आपका कैरियर, आपकी पढ़ाई, आपका व्यवसाय या कुछ और भी हो सकता है |
तो फिर आपको लक्ष्य - योजना - कार्य - परिणाम - पुनः प्रयास - फिर उसके बाद सफलता के लिए ढेरों शुभकामनाएं.....
लेखक : ओम प्रकाश कसेरा
0 टिप्पणियाँ