प्रिय पाठक,

कौन कहता है कि आसमां में सुराख हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो |

यह कहानी है बिहार के दशरथ मांझी की जो की फिल्म मांझी- द माउंटेन मैन’ के माध्यम से दर्शाई गई है | उर्दू में एक कहावत है कि - "हिम्मत-ए-मर्दा तो मदद-ए-खुदा" |जहां चाह - वहां राह | यह कोई कहावत नहीं, बल्कि हकीकत है | मतलब असंभव कुछ भी नहीं है |

दशरथ मांझी ने अपने दम पर 22 सालों की कड़ी मेहनत से सिर्फ हथौड़े और छैनी की मदद से एक बड़े पहाड़ से 360 फीट लंबा, 30 फीट चौड़ा और 25 फीट गहरा काटकर रास्ता बनाया और लगभग 70 किलोमीटर लंबी दूरी को सिर्फ 7 किलोमीटर के बराबर कर दिया । जहां हम कल्पना भी नहीं कर सकते वहां उनके दृढ़ निश्चय ने यह कर दिखाया | ढेरों मुश्किलें आई लेकिन उन्होंने उसकी परवाह नहीं की खूब यातनाएं सही, अपनी भूख प्यास सब छोड़ दिया और अंततः एक असंभव कार्य को स्वयं के दम पर संभव करके दिखाया |

उन्होंने आकर्षण के नियम का पालन किया एवं प्रकृति ने भी उनका साथ दिया | हम जब भी किसी चीज के विषय में बार-बार सोचते हैं या बार-बार किसी काम को करते हैं तो ब्रह्मांड की एक अदृश्य चुम्बकीय शक्ति हमें और उस वस्तु / विचार के साथ उसे जोड़ती है जिसे आकर्षण का सिद्धांत कहा जाता है।

आपके जीवन में आकर्षण के नियम लागू होंगे यदि :

1. आप जो भी पाना चाहते हैं उसके बारे में दिल से बार बार सोचे |

2. अपने लक्ष्य को अपनी जहन में उतार लें और हर जगह आपको आपका लक्ष्य ही दिखे | आप अपने लक्ष्य को अपने घर की दीवारों पर लिख कर चिपका सकते हैं जिससे वह बार-बार आपको याद दिलाएं कि आपको कुछ कर जाना है | 

3. सकारात्मक विचारों को ही जन्म दें एवं नकारात्मकता को अपने पास भटकने ना दें | उन्हें भूल जाए तथा उनके बारे में कुछ ना सोचे |

यदि आप ऐसा करते हैं तो आकर्षण का नियम आप पर भी लागू होगा जैसा कि दशरथ मांझी ने किया |

आइए दशरथ मांझी के कुछ डायलॉग याद करते हैं जो आकर्षण के नियम के सिद्धांत पर आधारित है | आइए देखे आकर्षण का नियम कैसे काम करता है -

मैंने दशरथ मांझी के कुछ प्रसिद्ध डायलॉग को डी कोड किया है और वास्तविक जीवन से उनका संबंध स्थापित करने का प्रयास किया है जो मैं प्रस्तुत कर रहा हूं -

1) जब तक तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं, बहुतै बड़ा दंगल चलेगा रे तोहर हमार – 

मांझी पागल से हो गए थे | कुछ पाने के लिए पागल जो होना जरूरी था | अब बस एक ही सपना था कि जब तक तोड़ेंगे नहीं तब तक छोड़ेंगे नहीं, और फिर वह क्या, पहाड़ भी उनके सामने न टिक सका | पहाड़ को उसकी औकात याद आ गई | आंखों से खून के आंसू निकलते थे | लक्ष्य जो था पहाड़ का घमंड तोड़ना वह उसे नीचा दिखाना | अब एक ही लक्ष्य था या तो पहाड़ या तो वह खुद | अब रूह की ताकत के सामने पहाड़ की क्या औकात, झुकना तो पहाड़ को ही था | उन्होंने पहाड़ को ऐसा तोड़ा जैसे कोई अखरोट तोड़ता है | थोड़ा थोड़ा करके बिना थके सतत प्रयास से तोड़ते ही रहे और अंततः जो हुआ वह आपके सामने है |

कहावत है : करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान रसरी आवत जात ते सिल पर पड़े निशान | 

असल जिंदगी में भी हमें अपने लक्ष्य को इसी प्रकार लेना है | चाहे वह व्यवसाय हो या पढ़ाई, बार-बार सोचना है और सोचते-सोचते आप देखेंगे आपको नए-नए रास्ते दिखाई दे रहे हैं और आप पाएंगे कि लक्ष्य आपके करीब खुद से आ रहा है | 

2) अखबार निकालना आसान काम है का? पहाड़ तोड़े से भी मुश्किल है का – 

हमें रास्ते में ऐसे बहुत से लोग मिलेंगे जो हमें हतोत्साहित करेंगे और छोटी-छोटी चीजों को राई से पहाड़ बनाते हुए बताएंगे की यह किया ही नहीं जा सकता और हम कार्य करने से भटकने लगते हैं | हमें आपने आत्मबल को इतना मजबूत रखना है कि कोई हमें अपने मार्ग से विचलित न कर सके | यदि आपको कोई हतोत्साहित करता है कि आप यह नहीं कर सकते हो तो उसका ख्याल न करते हुए सीधे स्पष्ट रूप से आपको यह बताना है कि आप मेरा रास्ता रोकने की कृपा ना करें, आप अपनी कमजोरियों को हमारे ऊपर हावी ना होने दें | 

3) भगवान के भरोसे मत बैठो, का पता भगवान हमरे भरोसे बैठा हो – 

ज्यादातर लोग अपने कर्म को नहीं करते हैं एवं सोचते हैं कि यह सब प्रभु की माया है | प्रभु ने कब कहा कि तुम्हें कर्म नहीं करना है, काम तो करना पड़ेगा प्रभु अपना कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है | परंतु आपको भी अपना कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध होना पड़ेगा | प्रभु का कार्य है आपके कार्यों का फल प्रदान करना, लेकिन कार्य तो आपको ही करना पड़ेगा | 

भगवान को भी एक माध्यम तो चाहिए ही चाहिए और वह माध्यम आप हैं | भगवान तो हमें रास्ता देते हैं परंतु यदि हम उन रास्ते को या उनके इशारों को पहचान नहीं पाते तब हम अपना ही नुकसान कर बैठते हैं | इस संदर्भ में अगला लेख शीर्षक 'भगवान के भरोसे ना बैठे क्या पता भगवान हमारे भरोसे बैठा हो` जल्द ही आपको आपके मेल पर मिल जाएगा जो आप ईमेल सब्सक्रिप्शन के माध्यम से सीधे अपने मेल में प्राप्त कर सकते हैं जो की पोस्ट करते ही आपको मिल जाएगा |


भगवतगीता-अध्याय तीन-कर्मयोग कर्मयोग में श्रीकृष्ण ने कहा है कि कर्म का पहल तुम्हें करना पड़ेगा, फिर मैं भी करूंगा, लेकिन शुरुआत तो तुम्हें करना पड़ेगा |

न मे पार्थास्ति कर्तव्यं त्रिषु लोकेषु किंचन ।

नानवाप्तमवाप्तव्यं वर्त एव च कर्मणि ॥

भावार्थ : हे अर्जुन! मुझे इन तीनों लोकों में न तो कुछ कर्तव्य है और न कोई भी प्राप्त करने योग्य वस्तु अप्राप्त है, तो भी मैं कर्म में ही बरतता हूँ |                                                

॥कर्मयोग-भगवत गीता-अध्याय तीन-श्लोक-22॥

यदि ह्यहं न वर्तेयं जातु कर्मण्यतन्द्रितः ।

मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः ॥

भावार्थ : क्योंकि हे पार्थ! यदि कदाचित्‌ मैं सावधान होकर कर्मों में न बरतूँ तो बड़ी हानि हो जाए क्योंकि मनुष्य सब प्रकार से मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं |                         

॥कर्मयोग-भगवत गीता-अध्याय तीन-श्लोक-23॥

यदि उत्सीदेयुरिमे लोका न कुर्यां कर्म चेदहम्‌ ।

संकरस्य च कर्ता स्यामुपहन्यामिमाः प्रजाः ॥

भावार्थ : इसलिए यदि मैं कर्म न करूँ तो ये सब मनुष्य नष्ट-भ्रष्ट हो जाएँ और मैं संकरता का करने वाला होऊँ तथा इस समस्त प्रजा को नष्ट करने वाला बनूँ                                

॥कर्मयोग-भगवत गीता-अध्याय तीन-श्लोक-24॥

सक्ताः कर्मण्यविद्वांसो यथा कुर्वन्ति भारत ।

कुर्याद्विद्वांस्तथासक्तश्चिकीर्षुर्लोकसंग्रहम्‌ ॥

भावार्थ : हे भारत! कर्म में आसक्त हुए अज्ञानीजन जिस प्रकार कर्म करते हैं, आसक्तिरहित विद्वान भी लोकसंग्रह करना चाहता हुआ उसी प्रकार कर्म करे                             

॥कर्मयोग-भगवत गीता-अध्याय तीन-श्लोक-25॥

4) लोग कहता है हम पागल हैं जिंदगी खराब कर रहा है: 

जब आप असल जिंदगी में कुछ करना चाहते हैं तो लोग आपको बीच रास्ते से ही वापस आने के लिए बोलते हैं | वह हठपूर्वक आप को समझाने का प्रयास करते हैं कि आगे कुछ भी नहीं है | एक बार आप आगे निकल गए तो आपने आगे जाने में कुछ समय, सामर्थ्य लगाया फिर आने में सब जीरो हो जाएगा, फिर आप दूसरे रास्ते की तलाश करेंगे और फिर जीरो से शुरू करना पड़ेगा | लोग बोलेंगे कि तुम पागल हो, जिंदगी खराब कर रहे हो, यह कर लो, वह कर लो लेकिन यह आपको निर्णय लेना है कि आप जिंदगी खराब कर रहे हैं या सुधार रहे हैं | वह आप को सुधार रहे हैं या आपकी जिंदगी खराब करना चाहते हैं | फैसला आपके हाथ |

5) बहुत बड़ा है तू बहुत अकड़ है तोहरा में बहुत जोर है देख देख कैसे उखाड़ते हैं अकड़ तेरी

अकड़ उखाड़ने के लिए आपकी अकड़ बहुत जरूरी है |आपमें कुछ पाने की अकड़ होगी, हिम्मत न हारने की अकड़ होगी, लक्ष्य में आए हुए रोडे को हटाने की अकड़ होगी तब आप अपने प्रतिद्वंदी की अकड़ वैसे ही उखाड़ के फेंक देंगे जैसे कि मांझी ने, इतनी विशाल पर्वत की अकड़ को गर्त में मिला दिया |

कहते हैं न - जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ, मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ। 

जो प्रयत्न करते हैं, वह कुछ न कुछ वैसे ही पा ही लेते हैं जैसे कोई मेहनत करने वाला गोताखोर गहरे पानी में जाता है और कुछ ले कर आता है। लेकिन कुछ बेचारे लोग ऐसे भी होते हैं जो डूबने के भय से किनारे पर ही बैठे रह जाते हैं और कुछ नहीं पाते।

6) लोग कहते हैं हम पागल हैं जिंदगी बर्बाद कर रहा है इ भीतर क घाव है जब तक इ टूटेगा नहीं भरेगा नहीं -

दोस्तों जीत पाने के लिए दिल से सोचना जरूरी होता है क्योंकि जब घाव अंदर लगती है तो जिंदगी भर याद रहती है और फिर आपको यह याद दिला-दिला कर आपसे कुछ कराने की जिद करती है और आपकी जीत का मार्ग प्रशस्त होता है |

दोस्तों दिमाग से तो बात उतर जाती है | आप कहते हैं न कि अरे मैं इस कार्य को नहीं कर पाया क्योंकि मेरे दिमाग से उतर गई अर्थात मैं भूल गया | लेकिन जब बात दिल की आती है तो आप कहते हैं यार यह बात मेरे दिल में लग गई और हम इसे जीवन भर नहीं भूल पाएंगे | आप याद करिए दिल में लगी बात आपको आजीवन याद रहती है | 

एक बड़ी बात भी दिमाग से उतर जाती है परंतु एक छोटी सी बात भी दिल में लग जाती है तो आप आजीवन उसे याद रखते हैं और वह बात आप को कचोटती रहती है, आप उसे भूल नहीं पाते | अतः अपने लक्ष्य को दिल से लगाइए, दिमाग से लगाएंगे तो उतर जाएगी |

7) इतना ताकत लाते कहां से हो - इ प्रेम है 

जब आप अपने लक्ष्य से प्रेम करते हैं तो आप उसके पीछे भागते हैं और धीरे-धीरे आपका और लक्ष्य का संबंध प्रगाढ़ होता है | आप उसकी तरफ जाते हैं और वह आपकी तरफ | आप का और लक्ष्य का मिलन हो जाता है | लक्ष्य से आपको प्रेम बढ़ाना पड़ेगा तभी आप कुछ कर पाएंगे |

अंततः इतना ही कहूंगा की आकर्षण का नियम कार्य करता है | आपको इस के सिद्धांतों को अपनाना होगा | असफलता व सफलता में ज्यादा अंतर नहीं होता | कुछ एक नंबर का या उससे भी कम, कुछ 1 मिनट का या उससे भी कम, कुछ और प्रयास की, कुछ और हौसले की | बस जरूरत है थोड़ा सा और प्रयास करने की एवं हिम्मत न हारने की |

आप भी कहेंगे - शानदार - जबरदस्त - जिंदाबाद ! बस लगे रहिए |

इसी के साथ जय हिंद |