दोस्तों जो होता है वह अच्छे के लिए ही होता है इसी बात को मानकर में संतोष करना चाहिए एवं अपने गलतियों कमियों से  सीखना चाहिए इस जीवन में जो कुछ भी होता है उसके तार कहीं ना कहीं कुछ अच्छा करने के लिए आपस में जुड़े होते हैं। आपके जीवन की हर एक समस्या आपको कुछ अच्छा करने के लिए और कुछ मुकाम तक पहुंचाने के लिए प्रेरित करती है।

अब आप महाभारत को ही देख ले भीम में एक हजार हाथियों का बल था जिनके आगे बड़ी बड़ी अप्सराएं भी मोहित होती थी। जरा सोचें उनका विवाह एक राक्षसी हिडिंबा से हुआ। आप सोचें क्या अनर्थ था।  क्या भीम के साथ अच्छा हुआ ? बेचारे भीम ! मजबूरी ने उन्हें एक राक्षसी हिडिंबा विवाह करना पड़ा। मां का आदेश जो था। और रिजल्ट क्या आया ! घटोत्कच !!! जो पैदा होते ही भीमकाय हो गएऔर क्या ! जिसके सर पर कोई भी बाल नहीं थे ओहो !!! सोचे भीम के साथ कितना बुरा हुआ लेकिन यही अभिशाप पांडवों के लिए इतना बड़ा वरदान साबित हुआ   क्योंकि “जो होता है अच्छे के लिए होता है !


जो होता है अच्छे के लिए होता है
जरा सोचें - क्या हिडिंबा राक्षसी एवं उनका पुत्र भीमकाय घटोत्कच एक मायावीराक्षसी पुत्र क्या पांडवों के लिए अभिशाप थे प्रथम दृष्टया भीम के लिए  इससे बुरा क्या हो सकता था। यह बुरा था परंतु जरा सोचें - क्या यह पांडवों के लिए वरदान नहीं था ? जो होता है अच्छे के लिए होता है !


क्योंकि वहीं घटोत्कच थे जिनके कारण पांडवों युद्ध जीत गए। यदि घटोत्कच ना होते हैं तो अर्जुन की मृत्यु  निश्चित थी और अर्जुन की मृत्यु के साथ ही पांडवों का विनाश निश्चित था। घटोत्कच के कारण ही  कारण को  इंद्र के द्वारा दिया गया दिव्यास्त्र का प्रयोग करना पड़ा जिसका प्रयोग करण सिर्फ एक बार कर सकते थे  


वास्तव में यह घटोत्कच की मृत्यु नहीं थी बल्कि यह करण की मृत्यु थी क्योंकि उन्होंने अपने अमोघ अस्त्र  का प्रयोग कर लिया और अंत में अर्जुन ने उन्हें मृत्यु के घाट उतार दिया। यदि करण ने अमोघ अस्त्र   इस्तेमाल किया होता तो युद्ध का परिणाम कुछ अलग ही होता। घटोत्कच की मृत्यु कौरव के विनाश के लिए आग में घी का काम किया। 

दोस्तों जब आप परेशान होते हैं तो उस परेशानी को परेशान करने के लिए आप कुछ ऐसा करते हैं कि वह आपके लिए वरदान साबित होता है। आप कुछ नया सीखते हैं और अपने समस्याओं से बाहर निकलते हैं। आप  तभी सफल हो सकते हैं जब अपनी समस्या के लिए आप एक समस्या  पैदा कर दे। 

हर समस्या हमें उस से निजात पाने के लिए एक आत्मबल देता है। उससे छुटकारा पाने के लिए हमें प्रेरित करता है। जरूरत है उससे मुकाबला करने की हिम्मत ना हारने की। 

द्रौपदी का चीर हरण पांडवों के लिए कितना बड़ा अपमान था। लेकिन जो होता है अच्छा होता है। यदि चीरहरण ना होता तो धर्म की स्थापना कैसे होती। गीता का उपदेश हमें कैसे सुनने को मिलता। यदि चीरहरण ना होता तो भीम दुशासन और दुर्योधन को मारने का प्रण कैसे करते ! चीरहरण ही भीम को पल पल याद दिलाता था कि उन्हें दुर्योधन के उस टांग को तोड़ना है जिस पर उसने द्रौपदी को निर्वस्त्र बैठाने के लिए कहा था।  अधर्म पर धर्म का मार्ग प्रशस्त करने के लिए भीम दुशासन के छाती का रक्त पीने का प्रण कैसे करते !

दोस्तों जब आप फेल होते हैं तो आप उससे कुछ सीखते हैं। गलती करना बुरा नहीं है लेकिन उस गलती को दोहराना बुरा है। 

यदि आप अपने व्यवसाय में फेल हो गए हैं तो आप विश्लेषण करें कि आपने क्या छोड़ा हैकहां पर आप कमजोर हैं अपने असफलता का कारण परखिए और उस पक्ष को मजबूत करिए। 

असफलता और सफलता में सिर्फ का ही अंतर है आप को बाहर निकालिए सफलता आपका इंतजार कर रही है जरूरत है प्रयास की I बार-बार प्रयास की I अपने असफलता से  “” का अंत करिए और आप देखेंगे की असफलता सफलता में बदल गई है। 

अगर आपको आपकी गर्लफ्रेंड ने छोड़ दिया है तो यह अच्छी बात है कि उसने छोटी सी बात पर आपको छोड़ दिया। क्योंकि जो छोटे से बात पर आपसे विरक्त हो सकता है वह जीवन के बड़े-बड़े पड़ाव पर आपका साथ  कैसे देता। अगर आप अपने जीवन के प्रथम असाइनमेंट में फेल हो गए हैं तो अच्छी बात है।  आपको आगे के लिए एक नया ट्रिक दे दिया कि आगे आप बड़े चैलेंज को लेते समय आप उस गलती को नहीं दोहराएंगे।  

अच्छा हुआ जीवन के किसी परीक्षा के प्रथम चरण में आप फेल हो गए। आगे आप उस गलती को नहीं दोहराएंगे और बड़ी गलतियों को करने से बच गए। तो क्या यह आपकी सफलता नहीं कहलाएगी ?  मेरे विचार से यह सफलता ही है क्योंकि यह आपके सफलता का मार्ग प्रशस्त  करेगी। 

जो होता है अच्छे के लिए होता है। बस जरूरत है परिस्थितियों को समझकर उनसे आगे निकलने की। क्योंकि हर कमीहर गलती एक सीख देती है और यह आपको आने वाली बड़ी कमी गलतियों से बचाती है। एक आशावादी हर कठिन परिस्थितियों में और  हल ढूंढता है जबकि एक निराशावादी हर परिस्थितियों में कठिनाई  ढूंढता है। 

स्टीव जॉब्स ने लिखा है कोई भी घटना अच्छी या बुरी हो। सभी आपस में एक दूसरे से सामंजस्य और बनाते हैं और हमें एक नियत रास्ते पर ले जाते हैं। हमारी असफलता हमें सफलता की ओर ले जाती है। 



उत्तिष्ठत
 जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत
हमें स्वामी विवेकानंद के कथन “उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत” - उठो तैयार हो जाओ और कार्य करते रहो जब तक कि लक्ष्य की प्राप्ति ना हो  को अपने जीवन का मूल मंत्र बनाना चाहिए 

उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत।

क्षुरस्य धारा निशिता दुरत्यया दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति

(कठोपनिषद् के अध्याय 1, वल्ली 3, श्लोक 14)


इसी के साथ जय हिंद |