आज हम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हुए अत्यंत गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं |
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को सबसे पहली बार वर्ष 1911 में आधिकारिक रूप से पहचान मिली थी। कहानी तब की है जब 1908 में न्यूयार्क में कपड़ा श्रमिकों ने हड़ताल कर दी थी और उनके समर्थन में महिलाएं खुलकर सामने आईं थीं। उन्हीं के सम्मान में 28 फरवरी 1909 के दिन अमेरिका में पहली बार सोशलिस्ट पार्टी के आग्रह पर महिला दिवस मनाया गया था। उसके बाद वर्ष 1975 में यूनाइटेड नेशन्स ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाना शुरू किया।
नारी उस वृक्ष की भांति है जो विषम परिस्थितियों में भी तटस्थ रहते हुए राहगीरों को छाया प्रदान करता है | नारी शक्ति की अधिष्ठाता दुर्गा, काली एवं सरस्वती का रूप है | आप जिस रूप में देखो उसी रूप में मिल जाएगी | नारी ममता है, त्याग है, बलिदान है |
प्राचीन काल में भारतीय नारी को विशिष्ट सम्मान व पूजनीय दृष्टि से देखा जाता था। अपाला, घोषा जैसी विदुषी महिलाएं, सीता, सावित्री, अनसुइया, गायत्री आदि अनगणित भारतीय नारियों ने अपना विशिष्ट स्थान सिद्ध किया है |
मनुस्मृति मे लेख है :
द्विधा कृत्वात्मनो देहमर्धेन पुरुषोअमवत
अर्धेन नारी तस्या स दिराजं सृजत्प्रभु:||
अर्थात हिरयन्गर्भ् ने अपने शरीर के दो भाग किये आधे से पुरुष और आधे से स्त्री का निर्माण हुआ। समाज का निर्माण ने नारी शक्ति की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है |
ऋग्वेद में सरस्वती को वाणी की देवी कहा गया है जो उस समय की नारी की शास्त्र एवं कला के क्षेत्र में निपुणता का परिचायक है। अर्द्धनारीश्वर की कल्पना स्त्री और पुरूष के समान अधिकारों तथा उनके संतुलित संबंधों का परिचायक है।
स्वामी विवेकानंद के अनुसार “नारी उतनी ही साहसी है जितना की पुरुष”|
नारी एक सुयोग्य गृहणी होने के साथ- साथ राजनीति, धर्म, कानून, न्याय सभी क्षेत्र में पुरुष की सहायक और प्रेरक भी हैं | समाज-संस्कृति हो या शिक्षा, साहित्य, उद्योग, खेल, सिनेमा आदि कोई भी कार्यक्षेत्र हो | आधुनिक नारी हर ओर परचम लहराए हुए हैं।
जयशंकर प्रसाद ने कामायानी में लिखा है :
नारी तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास-रजत-नग-पगतल में |
पियूष-स्त्रोत सी बहा करो, जीवन के सुन्दर समतल में |
नारी जीवन का चित्र यही, क्या? विकल रंग भर देती हो, अस्फुट रेखा की सीमा में, आकार कला को देती हो।
संत कबीर ने कहा है -
नारी निन्दा ना करो, नारी रतन की खान।
नारी से नर होत है, ध्रुव प्रह्लाद समान।
एक नहीं, हमारे समक्ष हजारों उदाहरण हैं जो हमें कुछ करने एवं सीखने के लिए प्रेरित करते हैं चाहे वह प्रथम अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट में 100 विकेट लेने वाली डायना इदुल हो प्रथम सर्वोच्च न्यायालय महिला न्यायाधीश मीरा साहिब फातिमा बीबी हो, प्रथम उच्च न्यायालय महिला न्यायाधीश लीला सेठ, प्रथम फिल्म अभिनेत्री देविका रानी, प्रथम महिला सांसद राधाबाई सुबारायन, प्रथम दलित महिला मुख्यमंत्री मायावती, प्रथम महिला अधिवक्ता रेगिना गुहा, प्रथम महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी, प्रथम भारतीय वायु सेना महिला पायलट हरिता कौर देओल, प्रथम महिला लोक सभा अध्यक्ष मीरा कुमार, प्रथम महिला आईपीएस किरण बेदी, प्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा, प्रथम महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, प्रथम मिस यूनिवर्स सुस्मिता सेन, प्रथम विश्व सुन्दरी रीता फारिया, प्रथम महिला चिकित्सक कादम्बिनि गांगुली, प्रथम महिला पायलट सुषमा, प्रथम महिला एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली कमलजीत सिंधु, प्रथम हिमालयी पर्वतारोही बछेंद्री पाल, प्रथम भारत रत्न इंदिरा गाँधी हो या पहली महिला ग्रैंड मास्टर भाग्यश्री थिप्से आदि हो | शुरू तो हमें करना होगा |
महिलाएँ पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर देश की प्रगति में भागीदार बन रही हैं।
कहते हैं :
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:।
अर्थात जिस कुल में नारियों कि पूजा, अर्थात सत्कार होता हैं, उस कुल में दिव्यगुण, दिव्य भोग और उत्तम संतान होते हैं और जिस कुल में स्त्रियों कि पूजा नहीं होती, वहां जानो उनकी सब क्रिया निष्फल हैं।
आपके बारे में लिखना अर्थात सूर्य को दीपक दिखाने के बराबर है |
मेरी तरफ से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं एवं हार्दिक बधाई ।
इसी के साथ जय हिंद |
आपका प्रिय.....
ढेरों शुभ कामनाओं के साथ......
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4 टिप्पणियाँ
अति उत्तम
जवाब देंहटाएंअंतररास्ट्रीय महिला दिवस पर मातृशक्ति को सादर प्रणाम
Thank you very much for encouragement
हटाएंअन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंThank you very much for encouragement
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