अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि ।
युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः ।।४।।
धृष्टकेतुश्चेकितानः काशिराजश्च वीर्यवान् ।
पुरुजित्कुन्तिभोजश्च शैब्यश्च नरपुङ्गवः ।।५।।
युधामन्युश्च विक्रान्त उत्तमौजाश्च वीर्यवान् ।
सौभद्रो द्रौपदेयाश्च सर्व एव महारथाः ।।६।।
अत्र, शूराः, महेष्वासाः, भीमार्जुनसमाः, युधि, युयुधानः, विराटः, च, द्रुपदः, च, महारथः ।।४।।
धृष्टकेतुः, चेकितानः, काशिराजः, च, वीर्यवान्, पुरुजित्, कुन्तिभोजः, च, शैब्यः, च, नरपुङ्गवः ।।५।।
युधामन्युः, च, विक्रान्तः, उत्तमौजाः, च, वीर्यवान्, सौभद्रः, द्रौपदेयाः, च, सर्वे, एव, महारथाः ।।६।।
अत्र = इस, शूराः = सेना में / शूर-वीर, महेष्वासाः = बड़े-बड़े धनुषों वाले, भीमार्जुनसमाः = भीम और अर्जुन के समान, युधि = युद्ध में, युयुधानः = सात्यकि, विराटः = विराट, च = तथा, द्रुपदः = द्रुपद, च = और, महारथः = महारथी ।
धृष्टकेतुः = धृष्टकेतु, च = और, चेकितानः = चेकितान, काशिराजः = काशिराज, च = तथा, वीर्यवान् = बलवान्, पुरुजित् = पुरुजित्, कुन्तिभोजः = कुन्तिभोज, च = और, शैब्यः = शैब्य, नरपुङ्गवः = मनुष्योंमें श्रेष्ठ ।
युधामन्युः = युधामन्यु, च = तथा, विक्रान्तः = पराक्रमी, उत्तमौजाः = उत्तमौजा, वीर्यवान् = बलवान्, सौभद्रः = सुभद्रापुत्र अभिमन्यु, च = एवं, द्रौपदेयाः = द्रौपदी के पाँचों पुत्र, सर्वे एव = ये सभी, महारथाः = महारथी ।
इस सेनामें बड़े-बड़े धनुषों वाले तथा युद्ध में भीम और अर्जुन के समान महान योद्धा सात्यकि, विराट, महारथी द्रुपद, धृष्टकेतु, चेकितान, बलवान् काशिराज, पुरुजित्, कुन्तिभोज, मुनष्यों में श्रेष्ठ युधिष्ठिर के श्वसुर शैब्य, पराक्रमी युधामन्यु, बलवान् उत्तमौजा, सुभद्रापुत्र अभिमन्यु एवं द्रौपदी के पाँचों पुत्र ये सभी महारथी हैं ।।४-६।।
पांडवों की ओर से एक से एक दिग्गज महारथियों को देखकर दुर्योधन डर गया । दुर्योधन गुरु द्रोणाचार्य को पांडवों की ओर के सेना में कुछ प्रमुख को दुर्भावना और कुटिलता के साथ मिर्च-मसाला लगा कर बता डालता है परंतु उसे तुरंत ध्यान आता है कि कहीं गुरु द्रोण विचलित न हो जाए । वह तुरंत ऐसा विचार आते ही आगे के तीन श्लोकों क्रमशः 7, 8 और 9 में अपनी सेनाकी विशेषता बताता है कि उसकी तरफ भी कुछ कम शूरवीर नहीं है और गुरु द्रोण को चिंता करने की जरूरत नहीं है बस युद्ध करने की है ।
श्लोक में आने वाले सभी महारथियों का संक्षिप्त विवरण निम्न अनुसार है –
1. युयुधानः – अर्जुनके शिष्य सात्यकिका दूसरा नाम युयुधान था जो अपना कर्ज अदा करने के लिए पांडवों की ओर से लड़ा ।
2. विराटः – विराट मत्स्यदेश के राजा थे। पाण्डवों का 1 वर्ष का अज्ञातवास यहीं पर बीता । इनकी पुत्री उत्तरा का विवाह अभिमन्युके साथ हुआ। इनके तीन पुत्र उत्तर, श्वेत और शंखनामक युद्ध में मारे गये ।
3. द्रुपदः - द्रुपद पांचाल राजा पृषत् के पुत्र थे। राजा पृषत् एवं गुरु द्रोण के पिता मुनि भरद्वाज मित्र थे । भारद्वाज के आश्रम में द्रुपद एवं द्रोणाचार्य की शिक्षा दीक्षा साथ में हुई । दोनों में गहरी मित्रता थी एक बार द्रुपद ने द्रोण से कहा कि जब वह राजा बनेगा तब उन्हें आधा संपत्ति दे देगा । राजा पृषत् के मृत्यु के बाद गुरु द्रोण द्रुपद के पास गए जब वह राजा बन गया । द्रोण ने पुरानी मित्रता की बात याद दिलाई तब द्रुपद ने द्रोण की भरी सभा में बेइज्जती कर दी । द्रोण दुखी होकर वापस लौट आए और कौरवों और पाण्डवों को अस्त्र विद्या की शिक्षा देकर गुरु दक्षिणा में भीष्म से छिपाकर अर्जुन के द्वारा द्रुपद को पराजित कराकर अपने अपमानका बदला चुकाया और उनका आधा राज्य ले लिया। द्रुपद ने द्रोण को मारने का प्रण किया और द्रोण को मारने वाले पुत्र के लिये याज और उपयाज नामक ऋषियों के द्वारा यज्ञ करवाया। उसी यज्ञवेदी से धृष्टद्युम्न तथा कृष्णा का प्राकट्य हुआ जिसे द्रौपदी, याज्ञसेनी, पांचाली इत्यादि नामसे जाना जाता है जो श्रीकृष्ण की अत्यंत प्रिय सखा थी ।
4. धृष्टकेतुः - धृष्टकेतु चेदिदेश के राजा शिशुपाल के पुत्र थे। महाभारत द्रोण पर्व में जयद्रथ वध पर्व के अंतर्गत 125वें अध्याय में संजय ने धृतराष्ट्र से द्रोणाचार्य द्वारा धृष्टकेतु के वध वर्णन किया है ।
5. चेकितानः -चेकितान धृष्टकेतु के पुत्र थे तथा पाण्डवों के सात सेनापतियों में से एक थे । इन्होंने द्वारिका में श्रीकृष्ण को दुर्योधन द्वारा युद्ध की बात बताई तथा कुरुक्षेत्र में यह पांडवों की ओर से युद्ध में भाग लिए ।
6. काशिराजः - काशिराज काशी के राजा थे तथा इनकी तीन कन्याये अम्बिका, अम्बा तथा अम्बालिका थी ।
7 - 8. पुरुजित्, कुन्तिभोजः - दोनों कुन्तीके भाई थे ।
9. शैब्य धर्मराज युधिष्ठिर के श्वसुर थे, इनकी पुत्री देविका से युधिष्ठिर का विवाह हुआ।
10. युधामन्यु / उत्तमौजा - दोनो पांचाल नरेश द्रुपद के पुत्र तथा धृष्टद्युम्न और् द्रौपदी के भाई थे। सत्यजीत और शिखंडी इनके अन्य भाई थे ।
12. सौभद्रः = सुभद्रापुत्र अभिमन्यु - अर्जुन के पुत्र थे जिनका विवाह मत्स्य देश के राजा विराट की पुत्री उत्तरा से हुआ । चक्रव्यूह में जयद्रथ ने युधिष्ठिर, भीम, नकुल, सहदेव, विराट, द्रुपद, धृष्टद्युम्न आदि किसी को भी घुसने नही दिया तथा द्रोण, कृपाचार्य, कर्ण, अश्वत्थामा, बृहद्बल और कृतवर्मा ने मिलकर नियम विरुद्ध अभिमन्यु को घेर लिया। नियम के विरुद्ध अनैतिकता से इनका वध किया गया ।
13 - 17. द्रौपदेयाः = द्रौपदी के पाँचों पुत्र क्रमशः प्रतिविन्ध्य, सुतसोम, श्रुतकर्मा, शतानीक और श्रुतसेन जो क्रमशः युधिष्ठिर, भीम्, अर्जुन, नकुल और सहदेव से उत्पन्न हुए ।
राजा द्रुपद, धृष्टकेतु, चेकितान, पुरुजित् और कुन्तिभोज युद्ध में द्रोणाचार्य के हाथ मारे गये। युद्ध में दुःशासन के सिर पर गदा का प्रहार करने से अभिमन्यु मारे गये। युधामन्यु, उत्तमौजा तथा द्रौपदी के पांच पुत्रो को रात में सोते हुए अश्वत्थामा ने मार डाला। युयुधान महाभारत के युद्ध में न मरकर यादवों के आपसी युद्ध में मारे गये।
सीख -
एक बात साफ़ है कि अपने शत्रु को कभी भी कम नहीं आंकना चाहिए । भले ही पांडवों की सेना में कौरवों की तुलना में बहुत कम योद्धा थे परंतु दुर्योधन भलीभाँति जानता जानता था कि गुरु द्रोण का ध्यान कुछ ख़ास योद्धाओं की ओर दिलाना बहुत ज़रूरी है ।
इस श्लोक से हमें फ़ोकस के ऊपर केंद्रित होने की सीख मिलती है ।
कहते हैं ना कि किसी व्यक्ति में सैकड़ों बुराइयाँ होती है परंतु हमें उसकी एक अच्छाई भी यदि मिलती है तो उस अच्छाई मात्र को लेने में कोई परिहेज नहीं करना चाहिए ।
उदाहरण स्वरूप आप किसी अधिकारी की कम्पेटिटिव परीक्षा के लिए उद्धत हैं और आपका इंग्लिश, जनरल अवेयरनेस, रीज़निंग सब अच्छा है परन्तु आपका मैथमैटिक्स अच्छा नहीं है तो आपको उस पर बार-बार फ़ोकस करना चाहिए जिससे कहीं वही आपको मात न दे दे ।
आपको स्वॉट एनालिसिस तो करना ही चाहिए जैसा दुर्योधन कर रहा था । अपनी कमियों वह ढूँढ रहा था जिससे वह उस पर विजय प्राप्त कर सके तथा उस पर फ़ोकस कर सके ।
इसी के साथ जय हिंद और स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 2023 की ढेरों शुभकामनाएँ !
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