कौन कहता है कि आसमा में जहाज उड़ नहीं सकता | जरा जुनूनी लोगों को काम पर लगा दो यारो |
यह कहानी है दो भाइयों की, उनके पागलपन की, उनके जिद की, उनके कल्पना की, उनके सपने की और उनके विश्वास की | यह कहानी है एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक के दावे को अनसुना करने की, यह कहानी है स्वयं को बहरा कर लेने की जहां नकारात्मकता को प्रवेश ही नहीं करने देना है | यह कहानी है उन भाइयों की जिनकी डिक्शनरी में असंभव शब्द था ही नहीं |
लॉर्ड विलियम थॉमसन (1st Baron Kelvin, Kelvin, Lord William Thomson, Scottish mathematician and physicist) ने 1895 यह दावा किया कि ( heavier-than-air flying machines are impossible) सिर्फ पक्षी उड़ान भर सकते हैं | हवा से भारी मशीन का उड़ान संभव नहीं और दो साइकिल बनाने वाले व्यक्ति ने उसे अनसुना कर दिया |
यह कहानी है राइट ब्रदर्स की |
विलबर राइट व ओरविल राइट के पिता मिल्टन राइट चर्च में काम करते थे । एक बार उपहार में उन्हें खिलौने के रूप में हेलीकॉप्टर मिला था । बस उनके मन में उड़ने की जिज्ञासा चालू हो गई |
दोनों साहित्य प्रकाशन, साइकिल बेचने, किराये पर देने, मस्मत करने की दुकान भी खोल रखी थी।
जब उन्हें पता चला कि जर्मनी के ओटो लिक्ति-थाल इंजीनियर की हैंग ग्लाइडर के आकाशीय उड़ान में मृत्यु हो गयी तब राइट ब्रदर्स ने ऐसा हवाई जहाज बनाने का प्रयास शुरू कर दिया, जो कि हवा से भारी हो । उसगें इंजन प्रोपेलर लगे हों । वह आदमी सहित आकाश में उड़ सके । उन्होंने पहले ग्लाइडर बनाया और उसका परीक्षण करने के लिए पहाडी स्थान पर चल दिये, जो 12 सैकण्ड तक हवा में रहने के बाद पृथ्वी पर आ गिरा । फिर उन्होंने दो तख्ते वाला वायुयान बनाया, अनेक असफलताओं के बाद उन्होंने पलायर जहाज बनाया |
1903 को पहली उड़ान भरी, जो कि असफल रही ।
1904 में डेटन के डेयरी फीम में दूसरे पलायर का परीक्षण हुआ, जिसकी दो उड़ानें 5 मिनट से ज्यादा, गति 35 मील प्रतिघण्टा थी ।
1905 में एक ऐसा हवाई जहाज बनाया जो 85 कि॰मी॰ दूरी तक भी चला था ।
1908 में परीक्षण के दौरान दुर्घटना का सामना करते हुए भी उन्होंने परीक्षण जारी रखा ।
1909 तक हवाई जहाज की फैक्ट्रियां अमेरिका में स्थापित कर लीं ।
इन्होंने 1895 में लॉर्ड विलियम थॉमसन वैज्ञानिक की कथनी कि "सिर्फ पक्षी उड़ान भर सकते हैं, हवा से भारी मशीन का उड़ान संभव नहीं," अनसुना कर दिया और अपने आप को बहरा कर लिया |
इन्होंने भंवरे की बात मानी | भंवरे के बारे में कहा जाता है कि इसका शरीर बहुत ज्यादा बढ़ा एवं पंख बहुत ज्यादा छोड़ा होता है और उड़ने के नियमों के विपरीत होता है | परंतु भंवरा उड़ता है | परंतु भंवरे को वैज्ञानिक नियम से क्या लेना देना ? वह तो सिर्फ उड़ना जानता है क्योंकि मंजिलें उन्ही को मिलती हैं जिनके सपनों में जान होती है। सिर्फ पंखों से कुछ नहीं होता, दोस्तों हौसलों से उड़ान होती है।"
प्रकृति हमेशा अपवादो से सीखने के लिए कुछ ना कुछ देती है यहां पर हमें भंवरा दिया | हम भंवरा न देख कर सुनकर विश्वास करते हैं |
खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है - मुहम्मद इकबाल
उन्होंने व्यक्ति ही नहीं साइकिल के पुर्जे, कुर्सी तक उड़ा दिए जो उस समय के लोग कल्पना भी नहीं कर सकते थे |
बस कुछ करने के लिए जज्बा और जुनून की जरूरत है इस से ज्यादा कुछ भी नहीं |
पहले लोग तुम्हें पागल कहेंगे और जब तुम सफल हो जाओगे तो लोग तुम्हें बनारसी भाषा वाला पा-गल कहेंगे |
बस नींद में नहीं जागते हुए सपने देखिए | क्योंकि सपने वह नहीं होते जो हमें नींद में आते हैं सपने वह होते हैं जो हमें सोने नहीं देते |
इसी के साथ जय हिंद |
आपका प्रिय.....
ढेरों शुभ कामनाओं के साथ......
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