अयनेषु च सर्वेषु यथाभागमवस्थिताः।
भीष्ममेवाभिरक्षन्तु भवन्तः सर्व एव हि॥ ११ ॥
अयनेषु, च, सर्वेषु, यथाभागम्, अवस्थिताः, भीष्मम्, एव, अभिरक्षन्तु, भवन्तः, सर्वे, एव, हि ।।११।।
अयनेषु = मोर्चोंपर, यथाभागम् = अपनी-अपनी जगह, अवस्थिताः = स्थित रहते हुए, भवन्तः = आपलोग, भीष्मम् = पितामह की, अभिरक्षन्तु = सब ओर से रक्षा करे
अर्थात्
सभी लोगो का जिन-जिन मोर्चों पर स्थान निश्चित किया गया है आपलोग अपने - अपने स्थान पर रहते हुए भीष्म पितामह की सब ओर से और हर प्रकार से रक्षा करें ।
दुर्योधन को पता था कि शिखंडी पूर्वजन्म में स्त्री अंबा थी जो भीष्म को मारने के लिए शंकर जी के वरदान से द्रुपद के यहाँ पैदा हुई थी और भीष्म स्त्री पर वॉर नहीं करेंगे भले ही वह उन्हें हानी पहुँचाये । अतः वह हर ओर से उन्हें उस सिखंडी से बचाने को कहता है क्योंकि अन्य महारथियों को पराजित करना भीष्म लिए बड़ी आसान बात थी ।
सीख -
जब आपकी अच्छाई आपका अहंकार बन जाए तो आप भीष्म है । कभी-कभी आवेश में लिया गया निर्णय आपको अत्यंत कमज़ोर बना देता है । काशीराज की पुत्री अम्बा को हर कर लाना उनके लिए मृत्यु को निमंत्रण देना था ।
देवब्रत पिता शान्तनु की मत्स्यगंधा से विवाह सुख देने के कारण आजीवन ब्रह्मचर्य की भीषण प्रतिज्ञा के कारण भीष्म बने । उन्हें पिता से इच्छा मृत्यु का वरदान भी मिला ।
उनके हस्तिनापुर की रक्षा का प्रण अभिशाप में बदल गया और उन्हें अधर्मी दुर्योधन का साथ देना पड़ा । अपने प्रतिज्ञा में बंधकर परपौत्र–बधू का चीर हरण देखने और सहन करने का पाप किया और असँख्य तीरों में बिंध कर उन्होंने अपने आँखों के सामने अपने कुल का नाश होते देखा ।
वह जी-जी कर भी मर रहे थे और मर-मर कर जी रहे थे । जरा उनकी मनोदशा समझिए । जरा सोचे जो सबसे मजबूत था वही आज सबसे कमजोर, बेचारा, बेबस, लाचार, दीन, दुखी, असहाय ।
बस हम भी छोटी छोटी बातो को दिल से लगा लेते है जैसे भीष्म ने लगाया । भीष्म ने भी हस्तिनापुर को दिल से लगा लिया भले ही वह कितना ही गलत !!!!
हमारा दिल तो छोटा सा है । हम उसे कितना बोझिल कर सकते है । आख़िर टूटकर बिखरना हमे ही होगा ।
एक उदाहरण से समझते है -
एक अध्यापक ने एक विद्यार्थी को एक पेन दिया ।
अध्यापक - यह पेन कितना भारी है ?
विद्यार्थी – बहुत हल्का ।
अध्यापक – कितने देर तक हांथ ऊपर करके उठा सकते हो ?विद्यार्थी – 1 घंटे ।
अध्यापक – 2 घंटे उठा सकते हो ?
विद्यार्थी – हाथ दर्द करने लगेगा ।
अध्यापक – 5 घंटे उठा सकते हो ?
विद्यार्थी – हाथ काम करना बंद कर देगा ।
अध्यापक – 10 घंटे ?
विद्यार्थी – रक्तचाप गड़बड़ होने से लगवा भी मार सकता है ।
अध्यापक – जरा सोचो जब एक 20 ग्राम के पेन को आप एक लंबे समय तक नहीं उठा सकते हो तो यह फालतू की उलझनों को कितनी देर तक उठाते रहोगे । फैसला आपका....
जल्द ही मिलते है अगले श्लोक ने । राधे – राधे !!!
अनंत शुभ कामनाओं के साथ..
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