असफलता एक ऐसी चीज है जो सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है । असफलता बड़ी चालाक है, यह अक्सर लोगों के जिंदगी में उसी समय आया करती है जब लोग सफलता के बहुत नजदीक होते हैं | आखिर परीक्षा जो लेनी है । असफल लोग मानते हैं कि सूरज केवल परछाइयां पैदा करने के लिए चमकता है । असफलता सूरज निकलने के पहले का अंधेरा तथा सही दिशा में हमारे प्रयास का मापक है ।
असफलता, सफलता की ओर पहला कदम है । असल में फेल (FAIL) का मतलब ही है FIRST ATTEMPT IN LEARNING. वास्तव में असफलता ट्रैफिक के सिग्नल की तरह है जो थोड़ी देर में हरी होनी ही है, बस जरूरत है सिग्नल पीला होते समय एक्सीलरेटर तैयार रखने की |
असफलता सफलता के पहले आने वाला तथा फर्श से अर्श पर ले जाने वाला पड़ाव है । सफलता मिलता नहीं बल्कि असफलता से सीख कर सफलता का निर्माण किया जाता है | यह कमियों को ढूंढने और सुधार करने की मशीन है ।
आखिर बिना परीक्षा के इंसान पास हो कैसे सकता है, परीक्षा तो देनी ही होगी | जितनी कठिन परीक्षा उतना अच्छा भविष्य | यह उस ब्रेकर के समान है जो मंजिल आने के ठीक पहले आता है |
सफलता ऐसी चीज है जो चाहिए तो सबको, पर कीमत कम ही लोग चुकाना चाहते है । सफलता और सही प्रयास का वही संबंध है जो मीठे का गुड़ से है । जितना अधिक गुड़, उतनी अधिक मिठास । जितना प्रयास, उतनी सफलता की गुंजाइश । सफलता के पीछे उतना ही त्याग होता है जितना की बहुमंजिला इमारत के नीचे नीव | हमें भवन तो दिखता है लेकिन उसके नींव नहीं |
सफलता की एक खास बात है - यह मिलती तो है लेकिन परीक्षा बहुत लेती है । यह लोगो के जीवन में तब आती है जब लोग हार नहीं मानते । अन्ततः इसे दीर्घ प्रयत्न, जुझारूपन, सही रणनीति से हासिल किया जाता है ।
सफलता के सड़क पर असफलता (नकारात्मकता) के गड्ढे को वैसे ही पार करना होता है जैसे सड़क पर ब्रेकर और गड्ढे को ? कुछ लोग तो घर से इस लिए नही निकलते क्योंकि उन्हें सारी लाइट हरी होने का इंतजार रहता है और जो असल में होता ही नही ।
याद रखे कि मंजिल मिल जायेगी एक दिन भटकते – भटकते ही सही । गुमराह तो वो है जो घर से निकले ही नहीं ।।
सफलता का एकमात्र नियम – एक बार शुरू किया तो मत रुकना जब तक खत्म न हो |
दोस्तो, अवसर मिलता नहीं है अवसरों का निर्माण किया जाता है ।
हरिवंश राय 'बच्चन' जी ने क्या खूब कहा है – "असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो, क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।"
वास्तव में जब कठिनाइयां लात मारती है तो आपको खड़ा करना चाहती हैं | जन्म के समय जिराफ मां अपने शिशु को उठा–उठा कर 8-10 फीट ऊंचाई से पटकती है और तब तक पटकती रहती है जब तक कि वह खड़ा नहीं हो पाता | यदि वह दौड़ना नहीं सीखेगा तो शेर और तेंदुआ से कैसे बचेगा ? वास्तव में सफलता की राह आसान नहीं होती |
जीवन की हर मुश्किल ट्रैफिक की लाल बत्ती की तरह होती है बस थोड़ा इंतजार करना होता है और वह फिर से हरी हो जाती है |
देख कर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहीं
रह भरोसे भाग के दुख भोग पछताते नहीं
काम कितना ही कठिन हो किन्तु उकताते नहीं
भीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहीं
भूल कर वे दूसरों का मुँह कभी तकते नहीं
कौन ऐसा काम है वे कर जिसे सकते नहीं ।- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
सोना निकालने के लिए कई टन मिट्टी निकालनी पड़ती है लेकिन खुदाई करने वाले का ध्यान हमेशा सोने पर रहता है मिट्टी पर नहीं | अपना लक्ष्य सोना (विजय) है और बाधाएं (मिट्टी) । यह हम पर निर्भर करता है कि हम मिट्टी (नकारात्मकता / अवसाद) को अहमियत दे रहे हैं या सोने (लक्ष्य को) को ।
क्योंकि –
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। हरिवंश राय बच्चन -
कहते है –
When you face failures, Don’t change your goal, Change your strategy!
असफलता का सामना करते समय छोटी छोटी बातों को नजरंदाज नहीं कर सकते क्योंकि आर्मी कितनी भी आधुनिक हथियारों से लैस क्यों न हो, यदि जूते न हो तो जंग कभी नहीं जीती जा सकती ।
छोटी सी चिंगारी जंगल जला देती है... छोटी सी चींटी हाथी मार सकती है... छोटा सा घाव व नासूर बन सकता है... छोटी-छोटी आदतें आदतें हॉबी बन जाती है... जूते में एक छोटा सा कंकड़ रुकने के लिए मजबूर कर देती हैं...छोटी सी छेद नाव को डूबा देती है... तो असफलता का अवसाद आपको जला देगा । इसलिए असफलता से घबराकर रुको मत, चलते रहो । क्योंकि बहता पानी सड़ता नहीं है और ठहरा हुआ पानी सड़ जाता है । तुम भी रुको मत !!! बहते रहो – चलते रहो । यदि असफलता से घबराकर रुक गए तो ठहरे पानी की तरह हो जाओगे ।
हां, तुम थोड़ा परेशान हो सकते हो । थोड़ा टूट सकते हो । परंतु ध्यान रहे, रसायन शास्त्र का एक नियम है – जब कोई अणु टूटकर पुन: अपनी पूर्व अवस्था में आता है तो वह पहले से अधिक मज़बूत होता है। यह हमारी जिंदगी पर भी लागू होता है।
हम जब किसी परेशानी का सामना करने के बाद पहले से अधिक मज़बूत हो जाते हैं और उस परेशानी से बहुत कुछ सीखते हैं |
भंवरा का शरीर बहुत ज्यादा बड़ा एवं पंख बहुत ज्यादा छोटा होता है जो उड़ने के नियमों के विपरीत है.. परंतु भंवरे को इसकी क्या खबर... वह उड़ता है.. उसे वैज्ञानिक नियम से क्या लेना देना ? उसे तो बस उड़ना है । क्योंकि मंजिलें उन्ही को मिलती हैं जिनके सपनों में जान होती है। सिर्फ पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।
बस सफलता का एकमात्र नियम है – एक बार शुरू किया तो तब तक मत रुकना जब तक खत्म न हो |
निःसंदेह “अगर किसी चीज़ को दिल से चाहो तो सारी कायनात उसे मिलाने में लग जाती है ।”
सफलता जब आसानी से मिले तो समझ लो गड़बड़ है जैसे पहला चौसर युधिष्ठिर को जानबूझकर जीतवाया गया । जब नियति आपको जीतने के लिए बार-बार मौके दे तो समझ लेना कुछ तो गड़बड़ है । आपकी अपब्रिंगिंग / परवरिश गलत हो रही है । आपको कमजोर बनाया जा रहा है ।
आखिर - Life is not bed of roses.
खेल में तो सबको भागीदारी देनी है । यह हम पर निर्भर करता है कि हमे खिलौना बनना है या खिलाड़ी ।
दोस्तो, मोती ऐसे ही नहीं मिलते हैं गहराई में जाना पड़ता है ।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में ।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती ।
जब आपको कष्ट मिले तब समझ लेना कुछ अच्छा होने वाला है । जैसे जब बादल टूटते हैं तब बारिश होती है । जब मिट्टी टूटती है तब फसल बोए जाते हैं । जब घड़े को तपाया जाता है तब वह मजबूत बनता है । जब सोने को जलाया जाता है और नक्काशी की जाती है तब वह आभूषण बनता है । जब पत्थर को कूटा जाता है तब वह भगवान की तरह पूज्य होता है । जब हीरे को तराशा जाता है तो दर्द तो उसे भी होता है । जब बच्चे को पीटा जाता है तो उसे सेपिग कहते हैं ।
तो देर किस बात की । अपनी असफलता से अनुभव लीजिए और सफलता का मार्ग प्रशस्त कीजिए ।
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