गोल, जी हा लक्ष्य अर्थात टारगेट। हां, यह वही है जो हमें कुछ करने की प्रेरणा देता है । क्या हमने सोचा है कि हमारे जीवन का लक्ष्य क्या है? हमारे आध्यात्मिक, सामाजिक, कैरियर, जीवन का लक्ष्य जो सबके लिए अलग–अलग हो सकता है ?
यह वही लक्ष्य है जो हमे निरंतरता प्रदान करता है । हमे प्रेरणा देता है मुकाम तक पहुंचने की, कुछ कर गुजरने की ।
बिना लक्ष्य के हम उस घड़ी की भांति है जो चलता तो खूब है पर पहुंचता कही नही । बस गोल – गोल घूमता रहता है । उसे पता ही नहीं कि जाना कहा है । हम पेंडुलम की भांति कभी दाए घूमते है और कभी बांए और जिंदगी चकरघिन्नी बन कर रह जाती है ।
हम बस अपनों को और अपने को दिलासा दिलाते रहते है कि हमारे प्रयास में कोई कमी नही । वास्तव में बिना लक्ष्य के हम अपने आपको धोखा देते रहते है और मीठे विष का पान करते रहते है ।
जरा सोचें, जब हमे पता ही नही की जाना कहा है, तब हम जायेंगे कहा ? अन्ततः भ्रमित हो कर खो जायेंगे ।
हमे कही जाने के लिए विचार करना होता है कि जाना कहा है, और हम अन्ततः वहा पहुंच ही जाते है । जरा सोचें कि अगर हमे बहुत छोटी दूरी तय करनी होती है तो हमे यह निश्चय करना पड़ता है कि जाना कहा है और जायेंगे कैसे ? एक बस में बैठने से पहले हमे गंतव्य का लक्ष्य तय करना पड़ता है और हम अन्ततः पहुंच ही जाते है ।
परंतु अपने रीयल लाइफ में हम अपने जीवन, करियर का लक्ष्य तय ही नही करते ।
अत्यंत खेद तब होता है जब ग्रेजुएट स्टूडेंट से आगे क्या करने को सोचा है, पूछने पर यह जवाब मिलता है अभी डिसाइड नहीं किया । भाई जब 20 साल तक नहीं सोचा, जब तुम्हारे पास जिम्मेदारियां या तो नही थी या कम थी, अब तुम्हे लगता है की आगे सोच पाओगे ???
बस अब तुम्हारे पास बहाने होंगे ......
हमसे न हो पाया है
मेरी उम्र खत्म हो गई
बहुत कठिन था
हमारी परिस्थिति ने साथ नहीं दिया
परिस्थितियां अलग थी
हम गरीब परिवार से थे
भाग्य ने साथ नहीं दिया
हमारे बस में नहीं है
हम छोटे शहर से हैं
लोग क्या सोचेंगे इत्यादि - इत्यादि....
क्योंकि तुम्हारा कोई लक्ष्य नहीं था ।
विकल्प बहुत मिलेंगे मार्ग भटकाने के लिए ।
एक संकल्प ही काफी है मंजिल तक जाने के लिए ।।
दोस्तों, अपने गोल को पाने के लिए पागल बनाना पड़ेगा क्योंकि इतिहास रचने वाले टॉपर नहीं होते बल्कि सनकी होते हैं ।
सफलता का एकमात्र नियम है कि एक बार शुरू किया तो मत रुकना जब तक खत्म न हो, जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए । दोस्तो, अवसर मिलता नहीं है अवसरों का निर्माण किया जाता है ।
ध्यान रहे - पानी में गिरने से नहीं, पानी में गिरने वाले की तैरना न आने से मौत होती है। परिस्थितियां कभी समस्या नहीं बनती । वे समस्या तब बनती हैं जब उनसे निपटना नहीं आता ।
दोस्त, जिंदगी तेरी, मेहनत तेरी, सपने तेरे, मंजिलें तेरी, हार तेरी, जीत तेरी । तू फालतू लोगों की बातों को सुनकर हार जाता है, क्या नाटक है ।
बस लक्ष्य सेट करो .... प्लान करो.... और जीत लो।
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